लाख की चूड़ियाँ

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लाख की चूड़ियाँ पाठ प्रवेश

कामतानाथ की कहानी “लाख की चूड़ियाँ” शहरीकरण और औद्योगिक विकास से गाँव के उद्योग के ख़त्म होने के दुख को चित्रित करती है। यह कहानी रिश्ते-नाते के प्यार में रचे-बसे गाँव के सहज सम्बन्धो में बिखराव और सांस्कृतिक नुकसान के आर्थिक कारणों को स्पष्ट करती है।

यह कहानी एक बच्चे और बदलू मामा की है। जो उसे लाख की गोलियाँ बनाकर देता है और वह बच्चा इस बात से बहुत खुश होता है। धीरे-धीरे समय बीतता है और वह बच्चा बड़ा होने के बाद एक बार फिर गॉंव आता है और बदलू से मिलकर औपचारिक बात करते हुए उसे मालुम होता है की गांव में “लाख की चूड़ियाँ” बनाने का कामकाज लगभग ख़त्म हो रहा है।

बदलू इस बदलाव से दुखी है किन्तु वो अपने उसूल नहीं त्यागता तथा साथ ही अपना जीवन चलाने के लिए कई और रास्ते निकाल लेता है। इस कहानी में लेखक विपरीत परिस्थितियों में भी अपने उसूल को न त्यागने की सीख देता है तथा उन्हें इस बात पर संतोष भी है।

लाख की चूड़ियाँ पाठ सार

नमस्ते भइया! उसने मेरी नमस्ते का उत्तर दिया अैर उठकर खाट पर बैठ गया। परंतु उसने मुझे पहचाना नहीं और देर तक मेरी ओर निहारता रहा।

मैं हूँ जनार्दन, काका! आपके पास से गोलियाँ बनवाकर ले जाता था। मैंने अपना परिचय दिया।